नाहन (हिमाचलवार्ता)। अक्सर लोग कहते हैं कि पहाड़ में बीते वक्त के लोग बेहद ही बलिष्ठ, शारीरिक रूप से सुडौल, स्वस्थ और मजबूत कद काठी वाले होते थे। दरअसल ये सिर्फ कहावत नहीं बल्कि 100 फीसदी सच बात भी है।
इसकी वजह है पहाडी लोगों का पौष्टिकता से भरा शुद्ध ऑर्गेनिक खान-पान और प्रकृति से बेहद करीबी। ज़रा सोचिए जो जिस कौदा के अनाज से कई बीमारियों का इलाज होता था, उसे हम भूल गए और शहरी पेकिंग वाले आटे की तरफ बढ़ गए ।
पहाड़ी क्षेत्रो में उगाया जाने वाला कौदा पौष्टिकता का खजाना है और इस अनाज के आटे की रोटी खाने से दिल की बीमारियां , डायबिटीज, रतौंधी यानी आंखों के रोग, कुपोषण जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज बालों की परेशानी, हड्डियों से जुड़ी बीमारियां, पेट से संबंधित बीमारिया और शरीर में कमजोरी का भी ईलाज संभव है। चावल और गेहूं की तुलना में कोदा खाना ज्यादा बेहतर है।
इसमें अत्यधिक कैल्शियम, थार्यामन और फाइबर होता है। यानी हड्डियों से संबंधित बीमारियों और पेट की कई बीमारियों का ये पक्का इलाज है। कौदरा में आयोडीन प्रचुर मात्रा में होता है।
आयोडीन की कमी से होने वाले रोगों की ये अचूक दवा है। इसमें प्रोटीन की मात्रा शानदार होती है और इस वजह से ये बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद है।
इसका आधिकाधिक सेवन आंखों के रतौंधी रोग के निवारण में भी सहायक होता है। कोदा में प्रोटीन, आयरन, वसा, कैल्शियम, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, खनिज, फाइबर जैसे तत्व होते हैं, जो बेहद ही फायदेमंद हैं। कोदा का वैज्ञानिक नाम एलिसाइन कोराकाना है।
आमतौर पर इसे फिंगर मिलेट भी कहते हैं। अधिक रेशा , प्रोटीन , अमीनो एसिड, खनिज तत्व से भरपूर मंडुवे का सेवन मधुमेह के रोगियों के लिए लाभकारी होता है। सबसे बडी बात इस फसल में कोई बीमारी आदि भी नही लगती और इसकी फसल में किसी तरह के कीटनाशक दवा की स्प्रे करने की जरूरत नही होती और यह पूर्ण रूप से औरगेनिक है।
अब सरकार द्वारा भी इस पौष्टिक व औषधीय गुणों से भरपूर अनाज की पैदावार बढ़ाने के लिए प्रयास किये जा रहै है। किसानों को इसका बीज कृषि विभाग के माध्यम से उपलब्ध करवाया जा रहा है ताकि इस फसलों की पैदावार को बढ़ाया जा सके।
कृषि विभाग के विषय वाद विशेषज्ञ सतनाम सिंह राणा के अनुसार किसानों को कौदरा के पौष्टिक व औषधीय गुणों के बारे में समय समय पर जागरूक किया जाता है और उन्हें कौदरा का बीज भी सरकार की और से उपलब्ध कराया जाता है ताकि किसान कौदा की फसल भी तैयार कर सके।