
प्रदीप सिंह ने बताया कि उन्होंने शिमला के साथ-साथ जुब्बल, कोटखाई और सोलन में ठेकेदार के माध्यम से मजदूरी की। इस बीच वह पढ़ाई के लिए वक्त निकालते थे। उन्होंने इस बार जेआरएफ उत्तीर्ण कर लिया है। वह अब पीएचडी करेंगे।
प्रदीप ने शिलाई कॉलेज से 2016 में मेजर इंग्लिश विषय में स्नातक करने के बाद ने 2018 में अंग्रेजी साहित्य में एमए की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने 2018-19 में एमफिल भी की। इस बीच वह यूजीसी नेट की तैयारियों में भी जुटे लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। उन्होंने इससे पहले आठ बार नेट दिया। इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और नेशनल फेलोशिप के हकदार बन गए।इस कामयाबी को पाने के लिए प्रदीप का अब तक का सफर संघर्ष भरा रहा। उनके पिता बस्ती राम भी शिमला में दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करते थे। उनके साथ प्रदीप ने मजदूरी कर अपनी पढ़ाई का खर्च निकाला। 29 साल के प्रदीप की कुछ समय पहले शादी हो चुकी है। उनकी पत्नी रेखा देवी ने भी यूजीसी नेट पास किया।