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    Home»हिमाचल प्रदेश»सिरमौर»मधुमक्खियों की ‘फौज’ से रुकेगा हाथियों का आतंक, वन विभाग ने किए पुख्ता इंतजाम
    सिरमौर

    मधुमक्खियों की ‘फौज’ से रुकेगा हाथियों का आतंक, वन विभाग ने किए पुख्ता इंतजाम

    By Himachal VartaApril 10, 2025
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    नाहन ( हिमाचल वार्ता न्यूज़) (एसपी जैरथ):-हिमाचल इप्रदेश के जिला सिरमौर की पांवटा साहिब घाटी पिछले दो दशकों से हाथियों के आवागमन के कारण चर्चा में है। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क से बहराल के रास्ते वन मंडल पांवटा साहिब में प्रवेश करने वाले हाथियों ने पिछले डेढ़ साल में घाटी के जंगलों को अपना स्थायी ठिकाना बना लिया है।

    हाल के समय में इन जंगली हाथियों के रिहायशी इलाकों में घुसकर फसलों को तबाह करने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। इससे निपटने के लिए वन मंडल पांवटा साहिब ने एक अनूठा तरीका अपनाया है। अब हाथियों को मधुमक्खियों की ‘फौज’ की मदद से दूर जंगलों में खदेड़ा जाएगा।

     

    इसके लिए सतीवाला बीट में वन विभाग ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। रिहायशी बस्तियों में जंगली हाथियों के प्रवेश को रोकने के उद्देश्य से यह कारगर कदम उठाया गया है। वन विभाग ने प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत सतीवाला बीट में शुरुआती तौर पर मधुमक्खियों के 30 बॉक्स स्थापित किए हैं।

     

    अब यदि यह प्रयोग सफल रहता है, तो हाथी प्रभावित अन्य इलाकों में भी इसी तरह के बॉक्स लगाए जाएंगे।

     

    वन विभाग के अनुसार, अनुशंसित संचालन प्रक्रिया में यह तथ्य सामने आया है कि हाथी मधुमक्खियों से डरते हैं, क्योंकि मधुमक्खियां उनकी आंख और सूंड में डंक मार सकती हैं।

     

    इसके अतिरिक्त, मधुमक्खियों की भिनभिनाहट की आवाज भी हाथियों को परेशान करती है।

     

    हाथियों के संभावित रास्तों में मधुमक्खियों से भरे डिब्बे रखने से उन्हें मानव बस्तियों में आने से प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है।

    इसी रणनीति के तहत, हाथी प्रभावित बहराल ब्लॉक की सतीवाला बीट के अंतर्गत रिजर्व फॉरेस्ट मस्तली सी-1 के नजदीक लालूवाली क्षेत्र में वन विभाग ने मधुमक्खियों से भरे यह 30 बॉक्स स्थापित किए हैं।

     

     

    इस कार्य को मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ डॉ. अशोक, बहादुर सिंह, वन कर्मी दीपक शर्मा और गज मित्र गुरजीत सिंह के सहयोग से पूरा किया गया।

    प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत वन विभाग पांवटा साहिब में मधुमक्खी पालन को भी प्रोत्साहित कर रहा है। इसके लिए हाथी प्रभावित इलाकों के लोगों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में लोगों को मधुमक्खी के छत्ते की बाड़ लगाने की तकनीक के साथ-साथ डमी मधुमक्खी के बॉक्स और स्पीकर के माध्यम से मधुमक्खियों की गुंजन की आवाज का उपयोग करके हाथियों को उनकी फसलों से दूर रखने के तरीके भी सिखाए जा रहे हैं।

     

    घातक साबित हो चुके हैं हाथी

     

    यह उल्लेखनीय है कि अक्सर पांवटा साहिब में फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले इन हाथियों ने वर्ष 2024 में दो अलग-अलग हमलों में एक महिला सहित दो लोगों की जान भी ले ली थी। इसी कारण से, लोगों के जान-माल की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत हाथियों को रिहायशी बस्तियों से दूर रखने के लिए विभिन्न प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।वन मंडल पांवटा साहिब के डीएफओ ऐश्वर्य राज ने इस पहल की जानकारी देते हुए बताया कि  किसानों की खड़ी फसलों को नष्ट होने से बचाने के लिए और रिहायशी इलाकों में हाथियों के आवागमन को नियंत्रित करने के उद्देश्य से चिन्हित क्षेत्रों में मधुमक्खियों से भरे बॉक्स लगाए गए हैं।

    उन्होंने यह भी बताया कि वन विभाग हाथी प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों को मधुमक्खी पालना के एत जे का प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। डीएफओ ने जोर देकर कहा कि प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत विभाग हर संभव आवश्यक कदम उठा रहा है ताकि रिहायशी क्षेत्रों में हाथियों की आवाजाही और हाथी-मानव संघर्ष को कम किया जा सके।

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