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    Home»हिमाचल प्रदेश»सिरमौर»आजादी के 78 साल बाद भी नेडा गांव के लोग सर पर पानी ढोने को मजबूर
    सिरमौर

    आजादी के 78 साल बाद भी नेडा गांव के लोग सर पर पानी ढोने को मजबूर

    By Himachal VartaApril 25, 2025
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    नाहन( हिमाचल वार्ता न्यूज़) (एसपी जैरथ):- देश को आजादी मिले 78 साल बीत गए हैं बावजूद इसके प्रदेश में अभी भी कई गांव ऐसे हैं जहां पीने की समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है। गर्मियों के मौसम शुरू होते ही सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र  के नेडा गांव के लोग पीने के पानी के लिए त्राहि त्राहि कर रहे हैं। लगभग 40 परिवार वाले इस गांव में कभी कभार ही पानी आता है। ऐसे में गांव की औरतों को लगभग 2 किलोमीटर खड़ी चढ़ाई चढ़कर पानी ढोने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जल शक्ति विभाग की लापरवाही की वजह से उन्हें खड्ड का गंदा पानी पीना पड़ रहा है।स्थानीय लोगों कहना हे की गर्मियां बढ़ाने के साथ भी पहाड़ों पर पीने के पानी की समस्याएं सामने आने लगी है सिरमौर जिले के शिलाई क्षेत्र में कई गांव में पेयजल समस्याएं शुरू हो गई है।

    क्षेत्र नेडा गांव के लोग पीने के पानी के लिए कड़ी मशक्कत करने को मजबूर है। हालांकि इस गांव को उठाऊ पेयजल योजना से जोड़ा गया है मगर, कर्मचारियों के लापरवाही की वजह से ग्रामीणों को कभी कभार ही पानी मिल पाता है। जितनी सप्लाई आती है वह इंसानों और पशुओं की जरूरत को पूरा नहीं कर पाती।

    महीने के लगभग 20 दिन तो नेडा गांव में पानी की सप्लाई नहीं आती है। ऐसे में गांव की महिलाओं को 2 किलोमीटर नीचे उतर कर खड्ड से दूषित पानी लेकर आती हैं। गांव की महिलाएं सर पर पानी के बड़े-बड़े बर्तन रखकर खड़ी चढ़ाई चढ़ कर जरूर का पानी घरों पहुंचती हैं।

    यह तस्वीर नेडा गांव की मजबूर महिलाओं की हैं। महिलाओं को पानी के बर्तन के नीचे दिन में 10 से 15 बार यह चढ़ाई चड़नी पड़ती है। बुजुर्ग महिलाओं के हालत देखिए, हाथों में डंडा लेकर सिर पर पानी का बर्तन उठाएं चढ़ाई पड़ रही है।

    यहां पानी को लेकर पिछले दो महीना से यह स्थिति बनी हुई है। महिलाओं के इतने बदतर हालत देखकर भी जल शक्ति विभाग को कुव्यवस्था को दुरुस्त नहीं कर रहा है। जल शक्ति विभाग की लापरवाही की वजह से ग्रामीण महिलाओं का जीवन पानी की जरूरत है पूरा करने में ही बीत रहा है।

    ग्रामीण बार बार विभाग और प्रशासन से उनके गांव को पानी सप्लाई पहुंचने की गुहार लगा रहे हैं। मगर सुनवाई नहीं हो रही है।

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