नाहन ( हिमाचल वार्ता न्यूज)(एसपी जैरथ):-देश व प्रदेश में बनाई जा रही दवाओं को डब्ल्यूएचओ के पैरामीटर पर और अधिक गुणवत्ता पर बनाने को लेकर संयुक्त अभियान शुरू हो चुका है। राज्य दवा नियंत्रण तथा सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के संयुक्त ऑपरेशन के तहत राज्य में सिरमौर तथा बद्दी सहित करीब 18 दवा निर्माण कंपनियों में जांच का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है।भारत सरकार द्वारा जारी अलर्ट के बाद दवा निर्माण में जुड़ी कंपनियों से एक बेहतर गुणवत्ता परक प्रोडक्ट बनकर बाहर निकले इसको लेकर जीएमपी स्टैंडर्ड को और अधिक परिष्कृत किया जा रहा है। हालांकि यह अभियान अभी जारी है। जारी अभियान के तहत सोमवार को सीडीएससीओ तथा राज्य दवा नियंत्रण की ओर से दो-दो ड्रग इंस्पेक्टरों ने स्टार बायोटेक बद्दी में निरीक्षण भी किया।
जबकि पांवटा साहिब और काला अंब के 2-2 प्रमुख दवा उद्योगों में टीम के द्वारा इंस्पेक्शन पूरा किया जा चुका है। हालांकि ड्रग अथॉरिटी चाहे वह केंद्र की हो चाहे राज्य की रूटीन इंस्पेक्शन करती रहती है। मगर इस बार भारत सरकार व राज्य सरकार के संयुक्त तत्वाधान में पूरे देश भर में रिस्क बेस्ड इंस्पेक्शन शुरू किए गए हैं। ना केवल प्रदेश में बल्कि पंजाब, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड में भी जीएमपी स्टैंडर्ड्स के तहत यह कार्यवाही अमल में लाई जा रही है।जीएमपी यानी गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज। जीएमपी के तहत यह सुनिश्चित करने के लिए कि क्या दवा का उत्पादन गुणवत्ता मानकों के अनुसार और निर्माण पर नियंत्रण बेहतर तरीके से किया जा रहा है या नहीं यह सुनिश्चित किया जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य दवा निर्माण में आने वाले जोखिम को कम करना होता है। ड्रग अथॉरिटी का मुख्य उद्देश्य यह भी रहता है कि दवा निर्माण में शेड्यूल एम को बनाया रखा जाना सुनिश्चित रहे।जिसमें दवा निर्माण में इस्तेमाल होने वाला रॉ- मटेरियल दवा निर्माण करने वाली मशीनरी, शुद्ध पानी, पर्यावरण सुरक्षा, सीवेज नाली निकासी, धुंआ नियंत्रण, दवा भंडारण, पैकेजिंग, दवा निर्माण में जुटे हुए कोई भी रोग रहित कर्मचारी, वगैरा-वगैरा जांच आ जाता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो भारत सरकार तथा राज्य सरकार के द्वारा चलाई गई इस संयुक्त कैंपेनिंग के बाद प्रदेश में निर्माण में जुटी दवा कंपनियों की दवाई और अधिक परिष्कृत और सुरक्षित होंगी।बड़ी बात तो यह है कि इस संयुक्त कार्यवाही के तहत बहुत सी दवा निर्माण कंपनियों में कई कमियां भी पाई गई जिन्हें अथॉरिटी के द्वारा शो कॉज नोटिस देकर टाइमबॉन्ड भी किया गया है। जिसमें एक उद्योग काला अंब से है तथा कुछ औद्योगिक क्षेत्र बद्दी से हैं।उधर, राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मरवा ने खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि यह कैंपेन भारत सरकार के साथ राज्य सरकार मिलकर कर रही है। उन्होंने बताया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य शेड्यूल एम को बनाए रखना तथा जीएमपी स्टेटस को मेंटेन करना है। उन्होंने कहा कि रिस्क बेस्ड इंस्पेक्शन के तहत अभी तक अट्ठारह दवा निर्माण कंपनियों में जांच की जा चुकी है। यही नहीं यह अभियान लगातार जारी भी है।