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    Home»देश»‘मन की बात 2.0’ की 9वीं कड़ी में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ
    देश

    ‘मन की बात 2.0’ की 9वीं कड़ी में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ

    By Himachal VartaFebruary 23, 2020
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    नयी दिल्ली।  मेरे प्यारे देशवासियो, ये मेरा सौभाग्य है कि ‘मन की बात’ के माध्यम से मुझे कच्छ से लेकर कोहिमा, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, देश-भर के सभी नागरिकों को फिर एक बार नमस्कार करने का मौका मिला है। आप सबको नमस्कार। हमारे देश की विशालता और विविधता इसको याद करना, इसको नमन करना, हर भारतीय को, गर्व से भर देता है। और इस विविधता के अनुभव का अवसर तो हमेशा ही अभीभूत कर देने वाला, आनंद से भर देने वाला, एक प्रकार से, प्रेरणा का पुष्प होता है। कुछ दिनों पहले, मैंने, दिल्ली के हुनर हाट में एक छोटी सी जगह में, हमारे देश की विशालता, संस्कृति, परम्पराओं, खानपान और जज्बातों की विविधताओं के दर्शन किये। पारंपरिक वस्त्र, हस्तशिल्प, कालीन, बर्तन, बांस और पीतल के उत्पाद, पंजाब की फुलकारी, आंध्र प्रदेश का शानदार leather का काम, तमिलनाडु की खूबसूरत painting, उत्तर प्रदेश के पीतल के उत्पाद, भदोही (Bhadohi) की कालीन, कच्छ के copper के उत्पाद, अनेक संगीत वादय यंत्र, अनगिनत बातें, समूचे भारत की कला और संस्कृति की झलक, वाकई अनोखी ही थी और इनके पीछे, शिल्पकारों की साधना, लगन और अपने हुनर के प्रति प्रेम की कहानियाँ भी, बहुत ही, inspiring होती हैं। हुनर हाट में एक दिव्यांग महिला की बातें सुनकर बड़ा संतोष हुआ। उन्होंने मुझे बताया कि पहले वो फुटपाथ पर अपनी paintings बेचती थी। लेकिन हुनर हाट से जुड़ने के बाद उनका जीवन बदल गया। आज वो ना केवल आत्मनिर्भर है बल्कि उन्होंने खुद का एक घर भी खरीद लिया है। हुनर हाट में मुझे कई और शिल्पकारों से मिलने और उनसे बातचीत करने का अवसर भी मिला। मुझे बताया गया है कि हुनर हाट में भाग लेने वाले कारीगरों में पचास प्रतिशत से अधिक महिलाएँ हैं। और पिछले तीन वर्षों में हुनर हाट के माध्यम से, लगभग तीन लाख कारीगरों, शिल्पकारों को रोजगार के अनेक अवसर मिले हैं। हुनर हाट, कला के प्रदर्शन के लिए एक मंच तो है ही, साथ-ही-साथ, यह, लोगों के सपनों को भी पंख दे रहा है। एक जगह है जहां इस देश की विविधता को अनदेखा करना असंभव ही है। शिल्पकला तो है ही है, साथ-साथ, हमारे खान-पान की विविधता भी है। वहां एक ही line में इडली-डोसा, छोले-भटूरे, दाल-बाटी, खमन-खांडवी, ना जाने क्या-क्या था। मैंने, खुद भी वहां बिहार के स्वादिष्ट लिट्टी-चोखे का आनन्द लिया, भरपूर आनंद लिया। भारत के हर हिस्से में ऐसे मेले, प्रदर्शिनियों का आयोजन होता रहता है। भारत को जानने के लिए, भारत को अनुभव के लिए, जब भी मौका मिले, जरुर जाना चाहिए। ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ को, जी-भर जीने का, ये अवसर बन जाता है। आप ना सिर्फ देश की कला और संस्कृति से जुड़ेंगे, बल्कि आप देश के मेहनती कारीगरों की, विशेषकर, महिलाओं की समृद्धि में भी अपना योगदान दे सकेंगे – जरुर जाइये।

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