नाहन :- लॉकडाउन के कारण जिला सिरमौर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद उल फितर की नमाज अदा न करके सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने में अपना सहयोग दिया।
मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए रमजान का महीना पवित्र महीना माना जाता है इसके बाद आने वाली ईद उल फितर के नाम से मनाई जाती है ईद के मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोग सामूहिक रूप से मस्जिदों में या फिर ईदगाह में नमाज अदा करते हैं परंतु देश में लॉक डाउन के चलते हैं जिला सिरमौर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने लॉक डाउन का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग कायम रखने के लिए इस बार ईद की नमाज अदा नहीं की। इस बार मस्जिदों में ईद की नमाज अदा करने के लिए इमाम के अलावा कोई भी मौजूद नहीं रहा। यहां मौलाना ने सरकार के आदेशोंं का खुद पालन करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोगोंं को भी इन आदेशोंं का पालन करने का आग्रह किया।
मीडिया से बात करते हुए ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष नसीम अहमद दीदान ने बताया कि ईद उल फितर को लोग मीठी ईद के नाम से जानते हैं। उन्होंने बताया कि ईद की नमाज सामूहिक रूप से अदा की जाती है इसलिए यह नमाज मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घरों से भी अदा नहीं कर पाए। हालांकि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने घरों से शुकराना की नमाज अदा की। क्योंकि इस बार कोविड-19 के कारण देशभर में लोक डाउन चल रहा है इसलिए ईद के मौके पर कोई भी जश्न नहीं मनाया गया उन्होंने कहा कि जिस दिन भारत कोविड-19 पर विजय प्राप्त करेंगा उस दिन सभी धर्मों के लोग मिलकर जश्न मनाएंगे और वहीं सबसे बड़ी ईद होगी। इस बार की ईद इसलिए भी खास है क्योंकि इस बार मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद के मौके पर खर्च किए जाने वाले पैसों को जरूरतमंदों की मदद के लिए खर्च किया है।