नाहन। इसमें कोई दोराय नहीं है कि देश की आर्थिकी में मजदूर तबका एक अहम भूमिका निभाता है। देश के प्रधानमंत्री बार-बार यह आग्रह करते रहे हैं कि रोजगार नहीं छीना जाना चाहिए, साथ ही कोई भी लॉकडाउन के दौरान भूखा न सोए। मगर इसके विपरीत औद्योगिक नगरी कालाअंब के सैकड़ों मजदूर सड़क किनारे बैठ कर बेबस हैं। फैक्टरी से छुट्टी दे दी गई है, अपने घर वापस जा नहीं सकते हैं, रहने खाने का कोई इंतजाम नहीं है। सवाल इस बात पर उठता है कि क्यों ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है? प्रशासन इस मामले में अब क्या कदम उठाता है, यह भी देखना होगा।
मजदूरों ने कहा कि फैक्टरी प्रबंधन ने उन्हें काम से निकाल दिया है। उनका यह भी कहना है कि खाने व रहने का कोई इंतजाम नहीं है। उनका कहना था कि या तो प्रशासन वापसी के लिए व्यवस्था बनाएं अथवा उन्हें रोजगार उपलब्ध करवाया जाए।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार सैद्धांतिक तौर पर इस बात को स्वीकार कर चुकी है कि अगर उत्तर प्रदेश, बिहार व झारखंड के मजदूर वापस चले गए तो राज्य को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि यही मजदूर न केवल कंस्ट्रक्शन कार्यों में बल्कि उद्योगों में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
वहीं, औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब में विरगो समूह एक जाना पहचाना नाम है। इसमें प्लाईवुड सनमाइका इत्यादि का उत्पादन होता है।
मजदूरों ने कहा कि शुक्रवार की शाम उन्हें कंपनी से निकाल दिया गया, इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि 30 फ़ीसदी ही मजदूर यहां रहेंगे, जिन्हें खाना दिया जाएगा। लिहाजा वह बेबस होकर पैदल ही अपने घर की तरफ चल दिए। मजदूरों ने बताया कि हरियाणा के यमुनानगर से उन्हें पुलिस ने वापस कालाअंब छोड़ दिया, यह बात कंपनी के प्रबंधक को बताई गई, लेकिन वह किसी भी तरह का सहयोग करने से इंकार कर रहा है। बेहद ही रुंधे गले से मजदूरों ने बताया कि वह जाएं तो कहां जाएं, उन्हें इधर-उधर खदेड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि ना ही खाने के लिए कोई व्यवस्था है और ना ही कोई रहने की। फिलहाल कंपनी प्रबंधन का पक्ष नहीं मिला है।