हींग से हरा भरा होगा अब शीत मरुस्थल, बदलेंगे किसानों के दिन
काँगड़ा (हिमाचल वार्ता)। हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर ने प्रदेश में पहली बार हींग की खेती की शुरुआत करने का बीड़ा उठाया है। इसकी शुरुआत संस्थान के निदेशक डॉ संजय कुमार ने प्रदेश के शीत मरुस्थल लाहुल-स्पीति से की है। उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में हींग की खपत भारत में सबसे अधिक है, किंतु भारत में इसका उत्पादन नहीं होता तथा देश हींग के लिए पूरी तरह से दूसरे देशों पर आश्रित रहता है।
वर्तमान में 600 करोड रुपए के लगभग 1200 मेट्रिक टन कच्ची हींग ईरान, अफगानिस्तान, उज़्बेकिस्तान से आयात की जाती है। राष्ट्रीय पादप अनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो ने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले 30 वर्षों में उनके बीज का आयात हमारे देश में नहीं हुआ है और यह प्रथम प्रयास है जब हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर में हींग के बीज का आयात किया है।
संस्थान ने कृषि विभाग, हिमाचल प्रदेश के साथ मिलकर हींग की खेती को बढ़ावा देने के लिए हाथ मिलाया है। किसानों की आय को बढ़ाने के लिए हींग की खेती एक मील का पत्थर साबित हो सकती है तथा आयात पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी।