नाहन हिमाचल वार्ता न्यूज़ (एसपी जैरथ):- राणा जी फूड इंडस्ट्री पर बारिश का कहर जमकर बरसा। सैन वाला पंचायत के सलानी गांव स्थित बरसाती नाले ने अपना रुख बदलते हुए फैक्ट्री की दीवार तोड़ जमकर तबाही का तांडव मचाया। नाले में भारी पानी के साथ आए टनों मलबे ने ना केवल फैक्ट्री के रॉ मैटेरियल को बुरी तरह बर्बाद कर दिया बल्कि करोड़ों की मशीनरी को भी भारी नुक्सान पहुंचा है।मौके से प्राप्त जानकारी के अनुसार फैक्ट्री में करीब 5 फुट से भी अधिक भारी मलवा और पानी इकट्ठा हो गया था। पानी का फ्लो इतना तेज था कि फैक्ट्री के दरवाजे और दीवारें तोड़ते हुए बड़े-बड़े डीप फ्रीज और कोल्ड स्टोर को भी अपनी चपेट में ले लिया। फैक्ट्री के कार्यालय सहित लैबोरेट्री किचन सहित तैयार माल भी मलबे में तब्दील हो गया। गनीमत तो यह रही कि जिस समय यह घटना घटी उस दौरान फैक्ट्री में 2-4 कर्मी ही मौजूद थे।भारी पानी और कीचड़ का सैलाब जैसे ही अंदर पहुंचा यह कर्मचारी अपनी जान बचाकर फैक्ट्री से बाहर भागे। फैक्ट्री कर्मियों ने रात को ही अपने मैनेजर करण राणा को पूरी घटना की जानकारी दी। जिसके बाद मैनेजर के द्वारा आपदा से हुए नुक्सान की बाबत पटवारी के रेवेन्यू अधिकारी सहित ग्राम प्रधान को भी सूचित किया गया। जानकारी मिलते ही ग्राम प्रधान और रेवेन्यू अधिकारी मौके पर पहुंचे।
रेवेन्यू सर्विस अधिकारी छज्जू राम के द्वारा हुए तमाम नुक्सान की जानकारी लेने के बाद मशीनरी आदि के नुक्सान को लेकर तकनीकी रिपोर्ट के लिए फैक्ट्री प्रबंधन को कहा गया। रेवेन्यू अधिकारी छज्जू राम ने बताया कि प्राथमिक तौर पर किए गए रॉ मैटेरियल का लगभग 10 लाख से अधिक का नुक्सान आंकलित किया गया है। उन्होंने बताया कि मशीनरी सहित अन्य नुक्सान को लेकर तकनीकी रिपोर्ट के बाद ही बताया जा सकता है कि यह नुक्सान कितना अधिक है।उधर, फैक्ट्री प्रबंधक करण राणा ने बताया कि यह वाक्या बरसाती नाले के रुख बदलने के कारण हुआ है। उन्होंने बताया कि उनके साथ लगती फैक्ट्री के द्वारा नाले के साथ एक बड़ी दीवार लगा दी गई थी जिसके कारण नाले का पूरा फ्लड् पीछे की ओर मुड़ गया। उन्होंने यह भी बताया कि इस आपदा में तमाम कर्मचारी सुरक्षित हैं जबकि फैक्ट्री को मशीनरी सहित करोड़ों का नुक्सान हुआ है।बता दें कि फैक्ट्री में भारी मलवा कीचड़ और पानी इकट्ठा हो गया है। फैक्ट्री के तमाम कर्मचारी सुबह 5:00 बजे से ही कीचड़ मलवा आदि निकालने में जुटे हुए थे। मौके के हालात से पता चला कि फैक्ट्री कम से कम 10 दिनों तक प्रोडक्शन में नहीं आ सकती। जिसके चलते प्रतिदिन के हिसाब से फैक्ट्री को और अधिक नुक्सान से गुजारना पड़ेगा।बता दें कि इस फैक्ट्री में आइसक्रीम, चिप्स तथा अन्य खाने-पीने की वस्तुएं बनाई जाती हैं।