देवभूमि हिमाचल नवरात्रि के सातवें दिन की देवी कालरात्रि की पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इनके नाम का अर्थ है “अंधकार की रात्रि”. कात्यायनी देवी का यह रूप अत्यंत भयानक और क्रूर है. इनकी आंखों से आग निकलती है और इनके शरीर से भयंकर तेज निकलता है. मां कालरात्रि राक्षसों और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली देवी हैं. इनकी पूजा से भय, अंधकार और नकारात्मकता का नाश होता है. यह हमारे जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार करती हैं. मां कालरात्रि शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली देवी हैं. इनकी पूजा से शत्रुओं का नाश होता है और हमें उन पर विजय प्राप्त होती है. मां कालरात्रि की पूजा से जीवन के सभी कष्टों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है. यह हमें रोगों, ऋणों और ग्रहों के दुष्प्रभावों से बचाती हैं. सच्ची भक्ति से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह हमें जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाकर मोक्ष प्रदान करती हैंसबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें. स्थापित कलश की प्रणाम करें उसमें और पानी डालें, देवी दुर्गा की प्रतिमा का ध्यान करें. मां कालरात्रि का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें. मां कालरात्रि को नौ दीपों से प्रज्ज्वलित करें. पुष्प, फल, मिठाई और नैवेद्य अर्पित करें. धूप-दीप जलाएं और मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें. मां कालरात्रि की आरती गाएं और उन्हें भोग लगाएं. ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें. मां कालरात्रि को नारियल अर्पित करें और अपनी मनोकामना व्यक्त करें. मंत्र “ॐ देव्यै नमः” का 108 बार जाप करें. लाल मिर्च अर्पित करें और “ॐ त्रिपुर सुंदरी देव्यै नमः” मंत्र का जाप करें. नींबू अर्पित करें और “ॐ कालरात्र्यै नमः” मंत्र का जाप करें.
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Wednesday, May 28